September 29, 2023

लॉकडाउन और कोरोनाकाल में सेक्स वर्कर्स के बच्चे भी हुए खाने को मोहताज


नईं दिल्ली। देश प्रदेश में एक बार फिर कोरोना अपना कहर बरपा रहा है। दिल्ली में एक बार फिर से कोरोना का संकट (Corona Pandemic) बढ़ गया है। ऐसे में कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन (Lockdown) में लोगों की नौकरियां (Job) जाने लगी है। जो दूसरे राज्यों से लाए गरीब और मजदूर लोग है वे अब पलायन करने लगे है। साथ-साथ इन लोगों अलावा एक और वर्ग है जो की सबसे ज्यादा लॉकडाउन की मार सह रहा है। हम बात कर रहे है सेक्स वर्कर्स (Sex Workers) की। जिनका वर्तमान समय में धंधा चौपट हो गया है। इनके बच्चे भी खाने के मोहताज हो गए है। दिल्ली में कोरोना संक्रमण (Delhi Corona Virus) के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से कई सेक्स वर्कर्स की आजीविका के साधन खत्म होने के कारण भुखमरी की कगार पर पहुंच गए है।


इसी बीच, उनमें से 60 फीसदी से अधिक अपने प्रदेश वापस लौट रहे है। उन्ही में से एक सेक्स वर्कर्स का कहना है कि अब तो दो वक़्त का खाना भी वह नहीं जुटा पा रही हैं। भयावह बीमारी के डर से ग्राहक नहीं मिल रहे, जिसका असर हम पर पड़ रहा है। एक अन्य ने बताया कि उसने और उसके चार साल के बेटे ने कई दिनों से ठीक से खाना नहीं खाया। और अब काम भी नहीं है तो ऐसे में उनका पेट पालना मुश्किल हो रहा है।

इनके साथ-साथ कई और सेक्स वर्कर्स की हालत भी ऐसी ही हैं। ये सभी यौनकर्मी जी. बी रोड (Sex worker GB Road) पर रहती हैं जहां करीब 100 वेश्यालय हैं, इनमें करीब 1500 यौनकर्मी रहती हैं। आपको बता दें कि दिल्ली के जी.बी रोड (Delhi GB Road) का पूरा नाम ‘गारस्टिन बास्टियन रोड’ (Garstin Bastian Road) है, जहां 100 साल पुरानी इमारतें हैं। यह दिल्ली की एक सड़क है, जिसका नाम सुनते ही लोगों की भौंहें तन जाती हैं और वे दबी जुबान में फुसफुसाना शुरू कर देते हैं।

ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स (AINSW) की अध्यक्ष कुसुम ने कहा कि दिल्ली की ज्यादातर सेक्स वर्कर्स अपने प्रदेश के लिए निकल चुकी हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में पंजीकृत यौनकर्मियों की संख्या कुल पांच हजार है और वापस लौटने वाली यौनकर्मियों की संख्या कई ज्यादा है।

उन्होंने कहा कि भोजन और दवाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में कई हफ्तों के संघर्ष के बाद उन्हें शहर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। एक दूसरी सेक्स वर्कर्स ने बताया कि आठ साल दिल्ली में रहने के बाद आखिरकार उसे उत्तर प्रदेश में अपने गांव को लौट पड़ा।

26 वर्षीय युवती ने कहा कि मैं उप्र के अपने घर से 18 साल की उम्र में भाग गई थी। मैं अभिनेत्री बनना चाहती थी लेकिन आजीविका के लिए इस धंधे में आ गई। जब से लॉकडाउन लगा है, कोई ग्राहक नहीं है और सारी जमापूंजी खत्म होती जा रही है।

 

सोर्स–हरिभूमि


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