BIG NEWS : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की दिग्गज नेत्रियों में शामिल इस नेत्री का हुआ कोरोना से निधन

रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के प्रकोप के चलते पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी और कांग्रेस की दिग्गज नेत्रियों में शामिल करुणा शुक्ला का देर रात कोरोना से निधन हो गया है। करुणा शुक्ला ने लगभग 70 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।


पूर्व सांसद और कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री करुणा शुक्ला का राजधानी रायपुर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनके निधन के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने करुणा शुक्ला के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि मेरी करुणा चाची यानी करुणा शुक्ला नहीं रहीं। निष्ठुर कोरोना ने उन्हें भी लील लिया।राजनीति से इतर उनसे बहुत आत्मीय पारिवारिक रिश्ते रहे और उनका सतत आशीर्वाद मुझे मिलता रहा। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें और हम सबको उनका विछोह सहने की शक्ति दे।
उल्लेखनीय है कि करुणा शुक्ला पहली बार 1993 में बीजेपी विधायक चुनी गई थीं। करुणा शुक्ला ने 2009 में कांग्रेस के चरणदास महंत से चुनाव हार गई थीं। 2014 आते-आते वह बीजेपी में इतनी अलग थलग पड़ीं कि उन्होंने उस कांग्रेस का दामन थामने का फैसला कर लिया, जिसके सामने अटल बिहारी वाजपेयी पूरी जिंदगी लड़ते रहे।
1 अगस्त 1950 के दिन ग्वालियर में अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला का जन्म हुआ था। भोपाल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद करुणा शुक्ला ने राजनीति में कदम रखा था। उन्हें मध्यप्रदेश विधानसभा में रहते हुए बेस्ट एमएलए का खिताब भी मिला था। वह 1982 से 2014 तक भाजपा में रहीं। करुणा शुक्ला ने 2014 में कांग्रेस ज्वॉइन की, लेकिन वे चुनाव नहीं जीत पाईं।
करुणा 1993 में पहली बार विधानसभा सदस्य चुनी गईं। 2004 के लोकसभा के चुनावों में करुणा ने भाजपा के लिए जांजगीर सीट जीती थी, लेकिन 2009 के चुनावों में करुणा कांग्रेस के चरणदास महंत से हार गईं थीं। उस चुनाव में छत्तीसगढ़ में करुणा ही बीजेपी की अकेली प्रत्याशी थीं जो चुनाव हारी थीं। बाकी की सभी सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं। भाजपा में रहते हुए करुणा कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं जिनमें भाजपा महिला मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद भी है। 32 साल भाजपा में रहने के बाद उन्होंने अचानक कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
