नोटबंदी के 6 साल पूरे: 2000 के नोट ना ATM में, ना बैंक में… जानिए नोट के बनने से नष्ट होने तक का सफर

नई दिल्ली: आज से 6 साल पहले यानी 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपए के 15.52 लाख करोड़ रुपए अर्थव्यवस्था से बाहर हुए। फिर एंट्री हुई 500 रुपए के नए और 2000 रुपए के बड़े नोट की। इनमें से 500 वाले नोट तो मार्केट में हैं, लेकिन 2000 वाले गायब हो गए। देश में साल 2017-18 के दौरान 2000 के नोट सबसे ज्यादा चलन में रहे। तब बाजार में 2000 के 33,630 लाख नोट थे, जिनकी संख्या साल दर साल कम होती गई।

RBI की रिपोर्ट की कहती है, मार्च 2021 तक देश में दो हजार के लिए 24,510 लाख नोट ही चलन में थे. अब 500 के नोट ही 2000 के नोटों की जगह ले रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि नोटों को छापने का फैसला कौन लेता है, यह किस आधार पर तय होता है और करंसी प्रिंटिंग प्रेस से निकलने के बाद वापस कैसे RBI तक पहुंचता है? जानिए एक करंसी नोट के बनने से लेकर उसके नष्ट होने का सफर कैसा है…
100, 500 या 2 हजार के कितने नोट छापे जाएं यह फैसला रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI), सेंट्रल बोर्ड और केंद्र सरकार मिलकर लेती है. लोगों की जरूरत को ध्यान में रखकर इसका फैसला लिया जाता है. आंकड़ा तय होने के बाद करंसी प्रिंटिंग प्रेस में छपने के लिए भेजा जाता है. वर्तमान में RBI नासिक (महाराष्ट्र), देवास (मप्र), मैसूर (कर्नाटक) और सालवनी (प. बंगाल) स्थित करंसी प्रिंटिंग प्रेस को छपाई के ऑर्डर देता है.
देश में अलग-अलग हिस्सों में बनी प्रिंटिंग प्रेस में नोट छापने के बाद इसे बांटने का काम शुरू होता है. देश के 19 शहरों में आरबीआई के करंसी इश्यू ऑफिस हैं. इसके अलावा शेड्यूल्ड बैंकों के 3054 ब्रांच के जरिये भी बैंकों को नोट दिए जाते हैं. यहीं से बैंकों तक नए करंसी नोट पहुंचाने का काम किया जाता है. लोगों की जरूरत के हिसाब से बैंक नए नोट जारी करते हैं.
जब नए नोट लोगों तक पहुंचते हैं तो धीरे-धीरे में इनमें डैमेज आने शुरू होते हैं. जैसे- आमतौर पर 500-2000 के नोट 5 से 7 साल तक चलते हैं. अगर इस दौरान नोट अधिक कटा-फटा नोट बैंकों तक पहुंचता है तो उसे RBI को भेज दिया जाता है. RBI के विशेषज्ञ यह तय करते हैं कि उस नोट को वापस चलन में लाया जाए या फिर नष्ट कर दिया जाए.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नोट की स्थिति ज्यादा खराब होने पर RBI उसे नष्ट कर देता है. नोट को नष्ट करने के लिए उसके बेहद छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए जाते हैं. ये इतने छोटे टुकड़े होते हैं जिन्हें वापस जोड़ा नहीं जा सकता. इसे ह्यूमिडिटीफायर से गुजारा जाता है. इसके बाद बचा हुआ हिस्सा जमीन में गाड़ दिया जाता है.