May 28, 2023

Holi 2023: भूलवश भी होली पर न करें ये गलती, पल भर में हो जाएंगे कंगाल

होली का दिन धार्मिक नजरिए से बहुत ही शुभ माना जाता है. बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाए जाने वाली होली की तिथि इस बार 08 मार्च 2023 को पड़ रही है. इस दिन की तैयारी के लिए लोग कई दिनों पहले से ही लग जाते हैं. ऐसे में यह आम बात है कि जाने-अनजाने में आपसे कुछ ऐसी गलती हो सकती है जिसके परिणाम बुरे हो सकते हैं. होली के दिन यदि आप इन गलतियों को करते हैं तो आपकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो सकती है. आइए जानते हैं क्या हैं होली के दिन कौन सी भूल करने से बचना चाहिए.

होली के दिन सुबह स्नान करने के बाद सबसे पहले भगवान कृष्ण को रंग अर्पित करें. इसके अलावा होली के दिन प्रात:काल सूर्य को अर्घ्य अवश्य दें. जब आप होली खेलें तो श्रीकृष्ण को अर्पित किए गए रंग को प्रसाद स्वरूप समझकर उसका इस्तेमाल भी अवश्य करें

होली की सफाई करते समय जब आप घर के मंदिर की सफाई करते हैं तो ध्यान रखें कि मंदिर की पुरानी मूर्ति को इधर-उधर न फेंके, बल्कि उसे किसी पवित्र नदि में प्रवाह कर दें. ऐसा न करने से आपके जीवन में परेशानियां आने लगती हैं और परिवार में कुछ अनहोनी भी हो सकती है.

ऐसा माना जाता है कि देर तक सोने से घर में दरिद्रता आती है. होली के दिन इस बात का विषेश ध्यान रखें कि आप देर तक सोए नहीं. ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न नहीं होती है और आपको आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. वहीं, जो लोग इस दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान-ध्यान करते हैं उन पर नारायण भगवान विशेष कृपा करते हैं.

होली के दिन किसी भी बड़े-बुजुर्ग का भूलकर भी अपमान न करें. माना जाता है कि होली के दिन बड़ों का आशीर्वाद मिलने से जीवन में तरक्की होती है और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. होली के दिन बड़ों का आज्ञा का पालन भी करना चाहिए.

यदि संभव हो तो होली के दिन सफेद रंगों वाली चीजों का सेवन करने से बचें. मान्यता है कि इस दिन सफेद रंग का इस्तेमाल करना नकारात्मक ऊर्जाओं को आकर्षित करता है. इसके अलावा होलिका जलाते समय उसमें पीपल और आम के पेड़ की लकड़ियों का इस्तमाल नहीं करना चाहिए.

होली के दिन पैसों से जुड़े लेन-देन करने से भी बचना चाहिए. इस दिन न तो किसी से उधार लें और न ही किसी को उधार दें. ऐसा करने से माता लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं और आपको आर्थिक नुकसान हो सकता है.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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