पितृ पक्ष की शुरुआत आज से, पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए होंगे श्राद्ध और तर्पण
भोपाल। Pitru Paksha 2024 पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पुण्य स्मरण का पखवाड़ा बुधवार से शुरू हो जाएगा। सनातन परंपरा के अनुसार लोग पूर्वजों को नियत तिथि पर श्राद्ध कर्म से स्मरण करेंगे। इसके साथ ही सोलह दिनों तक सभी शुभ कार्य बंद रहेंगे।
इन दिनों में लोग कपड़ा, सोना, चांदी, भवन, भूमि या वाहन की खरीदी भी नहीं करेंगे। बुधवार को शीतलदास की बगिया व खटलापुरा में लोग पूर्वजों को जल तर्पण करते नजर आएंगे।
पं. रामजीवन दुबे के मुताबिक पूर्णिमा का श्राद्ध कर्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा बुधवार 18 सितंबर को होगा।
जिस तिथि में पितर देव दिवंगत हुए होते हैं उसी तिथि पर पितृपक्ष में तिथियों के अनुसार श्राद्ध कर्म एवं तर्पण किया जाना शास्त्र सम्मत है।
संतान की दीर्घायु एवं कुशलता की कामना से किया जाने वाला परम पुनीत जियुतिया (जियुतपुत्रिका) का व्रत पूजन अष्टमी श्राद्ध के दिन किया जाता है, इसलिए जियुतिया का व्रत 25 सितंबर को रखा जाएगा।
18 सितंबर को प्रतिपदा एकम का श्राद्ध होकर मातृ नवमीं की तिथि 26 सितंबर को दिवंगत माताओं का श्राद्ध कर्म किया जा सकता है।
वहीं, जिनकी अकाल मृत्यु हुई है, उनका श्राद्ध कर्म 1 अक्टूबर को किया जा सकता है। 2 अक्टूबर को सर्व पितृमोक्ष अमावस्या होने की वजह से ऐसे सभी लोग श्राद्ध कर्म कर सकते हैं, जिन्हें अपने पूर्वजों के निधन की तिथि ज्ञात नहीं है। गुरुजी ने बताया कि 2 अक्टूबर को श्राद्ध पक्ष का समापन होगा। 3 अक्टूबर से मां भवानी की आराधना का पर्व शुरू हो जाएगा।
श्राद्ध कर्म की यह रहेंगी तिथि
पूर्णिमा का श्राद्ध एवं तर्पण व प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर दिन बुधवार, द्वितीया का श्राद्ध एवं तर्पण 19 सितंबर, तृतीया का श्राद्ध एवं तर्पण 20 सितंबर, चतुर्थी का श्राद्ध एवं तर्पण 21 सितंबर, पंचमी का श्राद्ध एवं तर्पण 22 सितंबर, षष्ठी का श्राद्ध एवं तर्पण 23 सितंबर, सप्तमी का श्राद्ध एवं तर्पण 24 सितंबर, अष्टमी का श्राद्ध एवं तर्पण 25 सितंबर महालक्ष्मी हाथी पूजा के साथ, नवमी का श्राद्ध एवं तर्पण 26 सितंबर, दशमी का श्राद्ध एवं तर्पण 27 सितंबर, एकादशी का श्राद्ध तर्पण 28 सितंबर, द्वादशी का श्राद्ध एवं तर्पण 29 सितंबर, त्रयोदशी का श्राद्ध एवं तर्पण 30 सितंबर, चतुर्दशी का श्राद्ध एवं तर्पण 1 अक्टूबर, अमावस्या का श्राद्ध एवं तर्पण 2 अक्टूबर को पितृमोक्ष अमावस्या के साथ समापन होंगे।