Happy Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा आज, हर साल बनाए जाते हैं तीन रथ, जानिए पुराने रथों का क्या होता है?

Purane Ratho Ka Kya Hota Hai: पुरी (ओडिशा): उड़ीसा का पूरी में हर साल होने वाली विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का महापर्व है, बल्कि यह परंपरा, संस्कृति और अध्यात्म का अनोखा संगम भी है।
नगर भ्रमण पर निकलते हैं भगवान जगन्नाथ, भ्राता बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा


इस भव्य यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा नगर भ्रमण के लिए अपने-अपने विशाल रथों पर सवार होकर निकलते हैं। इस यात्रा में भाग लेने और रथ खींचने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं। उनका विश्वास है कि रथ खींचने से पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ये होता है रथ यात्रा के समापन के बाद
जगन्नाथ रथ यात्रा का सबसे अनोखा पहलू यह है कि हर साल तीन नए रथ बनाए जाते हैं, जिनकी संरचना पूरी तरह पारंपरिक तरीकों से की जाती है। रथ निर्माण में प्रयोग होने वाली लकड़ी, रस्सियां, कपड़े और डिजाइन से लेकर रंग तक सब कुछ धार्मिक अनुष्ठानों के अनुरूप होते हैं। रथ यात्रा के समापन के बाद इन रथों को तोड़कर उनके भागों को सुरक्षित रूप से अलग किया जाता है।
रथ के हिस्सों की होती है पवित्र नीलामी
रथ यात्रा समाप्त होने के बाद भगवान के इन पवित्र रथों के कुछ हिस्सों की नीलामी की जाती है। यह नीलामी श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन द्वारा आयोजित की जाती है और इसमें भाग लेने के लिए श्रद्धालुओं को पहले से ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसके लिए श्री जगन्नाथ वेबसाइट पर संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।
भक्तों ने हिस्सों को पाने की होड़
रिपोर्ट्स के अनुसार, सबसे अधिक मांग रथ के पहियों की होती है। ये पहिए श्रद्धालुओं के लिए सिर्फ एक लकड़ी के टुकड़े नहीं, बल्कि आस्था और मोक्ष के प्रतीक होते हैं। हर साल हजारों भक्त इन हिस्सों को पाने की इच्छा रखते हैं, ताकि वे उन्हें अपने घरों में रखकर पूजा कर सकें और भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
आर्थिक के साथ आध्यात्मिक का प्रतीक
मंदिर प्रशासन यह भी सुनिश्चित करता है कि इन पवित्र हिस्सों का गलत उपयोग न हो। यह नीलामी एक धार्मिक विरासत को श्रद्धालुओं के साथ साझा करने का माध्यम होती है और इसका उद्देश्य केवल आर्थिक नहीं, आध्यात्मिक होता है।
महाप्रसाद के लिए रथ की लकड़ी का उपयोग
नीलामी के बाद बची हुई लकड़ी को भी व्यर्थ नहीं छोड़ा जाता। इसका उपयोग मंदिर की रसोई में किया जाता है, जहां देवताओं के लिए महाप्रसाद पकाया जाता है। यह परंपरा दर्शाती है कि भगवान के रथ का हर अंश पवित्र है और उसका उपयोग भी ईश्वर की सेवा में ही होता है।
हजारों लोगों के लिए तैयार होता है महाप्रसाद
इस रसोई, जिसे ‘आनंद बाजार’ कहा जाता है, में दिनभर हजारों लोगों के लिए महाप्रसाद तैयार किया जाता है। इसी रसोई में रथ की पवित्र लकड़ी को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह धार्मिक भावना का एक अत्यंत सुंदर और पर्यावरण-संवेदी उदाहरण है।
दुनियाभर में आस्था का प्रतीक
पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में आस्था का प्रतीक बन चुकी है। यह आयोजन हमें धर्म, संस्कृति और पर्यावरण के अद्भुत संतुलन की सीख देता है। यहां श्रद्धा, परंपरा और पवित्रता का ऐसा संगम देखने को मिलता है जो दुर्लभ है।
