छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023: अब बस एक ही चर्चा… छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री को लेकर इन तीन नामों पर चर्चा

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के रुझानों या अब मानकर चलें कि नतीजों को लेकर न सिर्फ मीडिया बल्कि खुद भाजपाई भी अचंभित हैं। सरगुजा से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाना चौंका रहा है। बस्तर ही नहीं रायपुर और दुर्ग संभाग में भी भाजपा को बड़ी बढ़त हासिल हुई है। अब जनता के बीच सबसे बड़ी बहस का मुद्दा यह है कि, कौन बनेगा मुख्यमंत्री…? क्या 15 साल तक छत्तीसगढ़ के सीएम रहे डा. रमन सिंह को भाजपा एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनाएगी। या फिर प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के सिर सेहरा बंधेगा। क्या मुख्यमंत्री चाचा से सीधा-सीधा पंगा लेने की हिम्मत जुटाने वाले विजय बघेल को ईनाम मिलेगा। क्या पार्टी पहली बार विधानसभा का चुनाव जीतने वाले पूर्व आईएएस ओपी चौधरी को बड़ी जिम्मेदारी सौंपेगी। क्या भाजपा छत्तीसगढ़ में पहली बार महिला मुख्यमंत्री बना सकती है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की करीबी, प्रखर वक्ता और सांसद सरोज पांडेय भी इस पद के लिए दावेदार हो सकती हैं। वहीं हाल ही में पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाई गईं लता उसेंडी आदिवासी महिला होने के नाते दावेदार हो सकती हैं।


सारे समीकरण साव की ओर कर रहे इशारा बहरहाल जिस तरह से परिणाम छत्तीसगढ़ में सामने आए हैं, उससे प्रदेश भाजपाध्यक्ष अरुण साव का दावा ज्यादा मजबूत दिखाई पड़ता है। कांग्रेस पार्टी के बड़े-बड़े साहू चेहरे धराशायी हो गए। कहीं इसके पीछे प्रदेश के साहू मतदाताओं की साहू मुख्यमंत्री देखने की चाहत तो नहीं थी? नतीजे तो यही कह रहे हें कि, प्रदेशभर के साहू मतदाताओं ने पहली बार साहू सीएम बनाने के लिए भाजपा के पक्ष में मतदान किया है। अरुण साव के पक्ष में केवल प्रदेश अध्यक्ष होना भर ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ का जातीय समीकरण भी जाता है। अरुण साव ओबीसी वर्ग के साहू समाज से आते हैं। साहू समाज छत्तीसगढ़ की सियासत में मजबूत दखल रखता है। छत्तीसगढ़ में साहू समाज की आबादी लगभग 12 प्रतिशत है।
